यूरोपीय संघ (EU) के नियामकों ने गुरुवार को घोषणा की कि वे Google की उस नीति की जांच कर रहे हैं जिसमें आरोप है कि कंपनी अपने सर्च रिज़ल्ट में मीडिया पब्लिशर्स की सामग्री को अनुचित रूप से नीचे दिखा रही है। Google का कहना है कि यह नीति स्कैम और कम गुणवत्ता वाली वेबसाइटों से उपयोगकर्ताओं को बचाने के लिए बनाई गई है, लेकिन यूरोपीय संघ को संदेह है कि इससे पब्लिशर्स को अनुचित नुकसान हो रहा है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही यूरोपीय संघ के डिजिटल नियमों की आलोचना कर चुके हैं और चेतावनी दे चुके हैं कि यदि अमेरिकी टेक कंपनियों पर कार्रवाई हुई तो इसका जवाब दिया जाएगा।
जांच से Google पर एक और बड़े जुर्माने का खतरा है, जैसा कि पहले भी यूरोपीय आयोग कई बार कर चुका है। आयोग की उपाध्यक्ष टेरेसा रिबेरा ने कहा कि Google की नीतियों से लगता है कि न्यूज़ पब्लिशर्स को उचित, गैर-भेदभावपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि मीडिया पब्लिशर्स इस कठिन समय में अपनी आय से वंचित न हों तथा Google डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) का पालन करे।
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आयोग का कहना है कि उसे संकेत मिले हैं कि Google अपनी “साइट रिप्यूटेशन अब्यूज़ पॉलिसी” के तहत कुछ परिणामों को जानबूझकर नीचे कर रहा है।
Google की ओर से मुख्य वैज्ञानिक पंडु नायक ने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि यह नीति यूरोपीय उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी और ओछे कंटेंट से बचाती है। उन्होंने जांच को “गुमराह करने वाला” बताया। नायक का तर्क है कि यदि ऐसे स्पैम तरीकों को रोकने के बजाय अनुमति दी जाए, तो उच्च गुणवत्ता वाली वेबसाइटें पीछे धकेली जाएंगी और खोज अनुभव खराब होगा।
परंतु आयोग का कहना है कि Google की नीति एक वैध राजस्व स्रोत को प्रभावित कर सकती है, जो DMA के नियमों का उल्लंघन है। यदि Google दोषी पाया गया, तो उसकी पेरेंट कंपनी Alphabet पर 10% या उससे अधिक वार्षिक वैश्विक राजस्व का जुर्माना लगाया जा सकता है, और कंपनी के कुछ हिस्सों को बेचने तक का आदेश दिया जा सकता है। जांच 12 महीनों के भीतर पूरी होनी है।
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