एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की लगभग 60% कंपनियों के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) गवर्नेंस नीति नहीं है, जिससे डेटा सुरक्षा और नैतिक उपयोग पर खतरा बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, AI के बढ़ते उपयोग के बावजूद अधिकांश संगठनों ने इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश या नीतियां नहीं बनाई हैं।
AI गवर्नेंस का मतलब है कि किसी संगठन द्वारा AI सिस्टम के उपयोग, जोखिम प्रबंधन और नैतिक दिशाओं को नियंत्रित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएं और नीतियां। इस नीति की अनुपस्थिति से न केवल गोपनीयता और पारदर्शिता पर असर पड़ता है, बल्कि डेटा उल्लंघन की घटनाएं भी अधिक होती हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में डेटा उल्लंघन की औसत लागत ₹220 मिलियन (22 करोड़ रुपये) तक पहुंच गई है, जो अब तक की सबसे अधिक दर्ज की गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि साइबर सुरक्षा में चूक कितनी महंगी साबित हो सकती है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि AI आधारित सिस्टम में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। इसके बिना कंपनियां न केवल कानूनी जोखिमों का सामना कर सकती हैं, बल्कि ग्राहकों का विश्वास भी खो सकती हैं।
रिपोर्ट संगठनों को सलाह देती है कि वे AI और डेटा प्रबंधन से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन करें, ताकि तकनीकी विकास के साथ-साथ नैतिक जिम्मेदारियों का भी संतुलन बना रहे।
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