आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव अब धर्म के क्षेत्र तक पहुंचने लगा है, और इससे लोगों में मतभेद भी पैदा हो रहे हैं। हाल ही में एक नया ऐप लॉन्च किया गया है, जिसमें डिजिटल रूप में मूसा और यीशु जैसे धार्मिक पात्र प्रस्तुत किए गए हैं। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को धर्म और आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर देने का दावा करता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि इसमें AI तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
विशेष रूप से दिलचस्प यह है कि जब ऐप में मौजूद वर्चुअल मूसा और यीशु से सीधे पूछा जाता है कि क्या वे AI हैं, तो वे इसे स्वीकार नहीं करते। उनका जवाब उपयोगकर्ताओं को यह सोचने पर मजबूर करता है कि AI और धर्म के बीच की सीमाएं कितनी स्पष्ट या धुंधली हो सकती हैं।
धार्मिक विद्वानों और साधु-संतों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं। कुछ का मानना है कि AI आधारित धार्मिक ऐप्स लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन और शिक्षा प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, विशेष रूप से युवा और डिजिटल दुनिया में बड़े होने वाले लोगों के लिए। वहीं, कुछ अन्य इसे धर्म और विश्वास के लिए खतरा मानते हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि तकनीकी माध्यम धर्म की गहनता और अनुभव को पूरी तरह से समझ नहीं सकता।
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विशेषज्ञों का कहना है कि AI का धर्म में प्रवेश एक नई बहस को जन्म दे रहा है—क्या मशीनें धार्मिक अनुभव का सही अर्थ समझ सकती हैं या वे केवल मानवीय जानकारी और डेटा के आधार पर उत्तर दे रही हैं।
इसके अलावा, इस ऐप ने धार्मिक शिक्षा, नैतिकता और व्यक्तिगत विश्वास पर नए दृष्टिकोण खोलने का काम किया है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या डिजिटल माध्यम सच्चे विश्वास का विकल्प बन सकते हैं।
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