भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र वर्ष 2030 तक 400 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, यह तेज़ी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित ऑटोमेशन, उच्च गुणवत्ता वाले तकनीकी कौशल और वैश्विक भरोसे से प्रेरित होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आईटी कंपनियां अब पारंपरिक बिल योग्य घंटे (billable-hour) मॉडल से आगे बढ़ते हुए डोमेन-विशिष्ट ऑटोमेशन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। ये नए मॉडल न केवल गति और गुणवत्ता में बेहतर हैं, बल्कि लागत के लिहाज से भी अधिक प्रभावी साबित हो रहे हैं।
वेंचर फर्म Bessemer Venture Partners की रिपोर्ट के अनुसार, एआई वैश्विक स्तर पर कार्यशैली को बदल रहा है, जिससे पारंपरिक आईटी सेवा कंपनियों को नई रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो कंपनियां एआई-आधारित समाधान को तेजी से अपना रही हैं, वे प्रतिस्पर्धा में आगे निकल रही हैं।
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भारत की बड़ी ताकत इसका मजबूत टैलेंट पूल, लागत प्रभावशीलता और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का भरोसा है। ये कारक देश को एआई संचालित वैश्विक मांग का लाभ उठाने में सक्षम बनाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारतीय आईटी उद्योग ने समय पर एआई-प्रेरित नवाचार और रणनीतिक बदलाव अपनाए, तो वह आने वाले वर्षों में विश्व तकनीकी अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
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