कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनी एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) की याचिका को खारिज कर दिया है। कंपनी ने सरकार के हटाने के आदेशों को चुनौती दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया को अराजक स्वतंत्रता की स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता, खासकर उन मामलों में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध जुड़े हों।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पूरी तरह बिना किसी नियंत्रण के काम कर सकते हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि ऑनलाइन सामग्री का दुरुपयोग समाज और विशेषकर कमजोर वर्गों के लिए गंभीर खतरा है।
सरकार के तर्क का समर्थन करते हुए अदालत ने कहा कि डिजिटल स्पेस में नियंत्रण और संतुलन आवश्यक है। यदि प्लेटफ़ॉर्म अपनी सामग्री पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे तो यह स्थिति लोकतांत्रिक ढांचे और सामाजिक व्यवस्था दोनों के लिए हानिकारक होगी। अदालत ने विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाना जरूरी है।
और पढ़ें: Oracle APEX प्लेटफॉर्म ने एक्सेलरेट 2025 हैकथॉन में छात्रों की नवाचार प्रतिभा को दिया पंख
अदालत के फैसले से स्पष्ट संदेश गया है कि भारत में सोशल मीडिया कंपनियों को कानूनी ढांचे और नियमों का पालन करना होगा। एक्स कॉर्प की याचिका खारिज होने के बाद यह माना जा रहा है कि भविष्य में अन्य टेक कंपनियों को भी इसी दिशा में अधिक सावधानी बरतनी होगी।
और पढ़ें: न्यूयॉर्क में मिला विशाल सिम फार्म : टेलीकॉम नेटवर्क के लिए गंभीर खतरा