केंद्र सरकार ने स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को भारत में यूनिफाइड लाइसेंस (UL) प्रदान कर दिया है, लेकिन इसके साथ कड़े डेटा सुरक्षा नियम भी लागू किए गए हैं। संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने कहा कि यह अनुमति तभी दी गई जब अमेरिकी कंपनी ने भारत सरकार की शर्तों को स्वीकार कर लिया।
सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इस लाइसेंस के तहत भारतीय उपयोगकर्ताओं से जुड़े डेटा की किसी भी प्रकार से कॉपी, ट्रांसफर या डिक्रिप्शन (गोपनीय जानकारी को डिकोड करना) विदेश में नहीं किया जा सकेगा। सभी डेटा को भारत के भीतर ही सुरक्षित रखना और संसाधित करना होगा।
दूरसंचार विभाग (DoT) ने यह कदम देश की डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty) और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है। भारत सरकार का मानना है कि विदेशी कंपनियों को लाइसेंस देते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भारतीय नागरिकों के संवेदनशील डेटा का दुरुपयोग न हो।
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स्टारलिंक, जो अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी की एक इकाई है, भारत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएं देने की योजना बना रही है। कंपनी ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने का लक्ष्य रखती है।
संचार राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह व्यवस्था न केवल डेटा सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि भारत के डिजिटल ढांचे को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।
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