अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन चिप निर्माण कंपनियों में अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें CHIPS एक्ट के तहत वित्तीय सहायता मिली है। यह कदम अमेरिकी सेमीकंडक्टर उद्योग पर सरकार के नियंत्रण और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है।
CHIPS एक्ट का उद्देश्य घरेलू चिप निर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता कम करना है। इस योजना के तहत कई अमेरिकी कंपनियों को अरबों डॉलर की सहायता प्रदान की गई है। इंटेल के अलावा मेमोरी चिप निर्माता माइक्रोन इस फंड की सबसे बड़ी प्राप्तकर्ता मानी जा रही है।
ट्रंप का मानना है कि जब सरकार उद्योग को बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता दे रही है, तो बदले में उसे इन कंपनियों में हिस्सेदारी या अधिकार भी मिलने चाहिए। इससे न केवल सरकारी निवेश की निगरानी आसान होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि कंपनियां राष्ट्रीय हित के अनुरूप कार्य करें।
और पढ़ें: ट्रंप की मांग: इंटेल के सीईओ तुरंत इस्तीफा दें
नीतिगत विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रस्ताव अमेरिकी औद्योगिक नीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। इससे सेमीकंडक्टर कंपनियों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है, लेकिन सरकार को तकनीकी उत्पादन और आपूर्ति शृंखला पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
हालांकि, उद्योग जगत के कुछ नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अत्यधिक दखल देती है तो नवाचार की गति धीमी हो सकती है। वहीं समर्थकों का मानना है कि यह कदम अमेरिका को चीन और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले मजबूत बनाएगा।
यह विचार अभी शुरुआती चरण में है और इस पर आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन अगर इसे लागू किया गया तो अमेरिकी चिप उद्योग में एक बड़ा ढांचा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
और पढ़ें: सिंगापुर अदालत से झटका, वज़ीरएक्स उपयोगकर्ताओं ने पुनर्गठित योजना के पक्ष में फिर डाला वोट