अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को “जेनेसिस मिशन” नामक एक राष्ट्रीय पहल शुरू करने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान को तेज गति से आगे बढ़ाना है। ट्रंप ने इसकी तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम विकसित करने वाले मैनहैटन प्रोजेक्ट से की, यह बताते हुए कि इसका दायरा अत्यंत व्यापक और प्रभावशाली है।
यह योजना ट्रंप प्रशासन की कम-नियमन वाली आक्रामक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत अमेरिका बड़ी टेक कंपनियों को चीन से आगे रखने और तेजी से बढ़ते एआई क्षेत्र में अपनी प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। व्हाइट हाउस यह भी देख रहा है कि राज्य सरकारों को अपने AI नियम लागू करने से कानूनी रूप से कैसे रोका जाए, और चेतावनी दी गई है कि ऐसा करने वाले राज्यों से संघीय सहायता वापस ली जा सकती है।
सोमवार को जारी आदेश के अनुसार, ऊर्जा विभाग को एक एकीकृत एआई प्लेटफॉर्म विकसित करने का कार्य सौंपा गया है, जिसमें देश की सुपरकंप्यूटिंग प्रणाली, वैज्ञानिक डाटासेट और अनुसंधान सुविधाओं को जोड़कर परमाणु संलयन, सेमीकंडक्टर निर्माण और अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में नई खोजों को तेज किया जाएगा।
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इस पहल का केंद्रबिंदु “अमेरिकन साइंस एंड सिक्योरिटी प्लेटफ़ॉर्म” है, जो शोधकर्ताओं को हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, एआई मॉडलिंग टूल्स और विशाल संघीय डाटासेट तक पहुंच प्रदान करेगा। इससे वैज्ञानिक फाउंडेशन मॉडल विकसित करने और अनुसंधान को स्वचालित बनाने में मदद मिलेगी।
यह प्लेटफॉर्म नौ महीनों के भीतर कम से कम एक बड़े वैज्ञानिक लक्ष्य पर प्रारंभिक क्षमता प्रदर्शित करने का लक्ष्य रखता है। 60 दिनों के भीतर ऊर्जा विभाग 20 प्राथमिक वैज्ञानिक चुनौतियों की सूची तैयार करेगा। प्रमुख क्षेत्रों में उन्नत विनिर्माण, बायोटेक्नोलॉजी, क्रिटिकल मैटेरियल्स, न्यूक्लियर एनर्जी, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर्स शामिल हैं—जहां अमेरिका को चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
आदेश में निजी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी की भी परिकल्पना की गई है, साथ ही संवेदनशील अनुसंधान की सुरक्षा के लिए सख्त साइबर सुरक्षा उपाय अनिवार्य किए गए हैं।
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