महंगाई में बड़ी राहत: खुदरा दर 6 साल के न्यूनतम स्तर पर
जून 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI आधारित) घटकर सिर्फ 2.1% पर आ गई है — यह जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है। महंगाई में यह गिरावट आम लोगों के लिए बड़ी राहत है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि खाने-पीने की चीजें सस्ती हुई हैं। बेहतर मानसून और सप्लाई सुधार इसके प्रमुख कारण रहे हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, जून में फूड इंफ्लेशन -1.06% पर पहुंच गया, जबकि मई में यह 1.99% था। सब्जियों की कीमतों में 19%, दालों में 11.76%, मांस-मछली में 1.62%, और मसालों में 3.03% की गिरावट देखी गई। इससे आम लोगों के घर का बजट हल्का हुआ है।
ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि यह गिरावट ICRA के अनुमान से भी बेहतर है। फूड एंड बेवरेजेज सेगमेंट में जून में 0.2% की गिरावट हुई है — यह 75 महीनों में पहली बार है।
RBI पर दबाव घटा, रेट कट संभव
महंगाई के इस स्तर पर पहुंचने से अब RBI पर ब्याज दरें घटाने का दबाव कम हुआ है। एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि अगस्त में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती हो सकती है, जिससे लोन और EMI सस्ते हो सकते हैं। हालांकि, सब कुछ गुलाबी नहीं है। कोर इंफ्लेशन अब 4.4% पर है — जो सितंबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। सोने की कीमतों में 36% की बढ़ोतरी और चांदी-जैसे गहनों की कीमतों में भी उछाल से चिंता बनी हुई है।
शहरी-ग्रामीण अंतर और राज्यवार तस्वीर
ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 1.72% रही जबकि शहरी इलाकों में 2.56%। राज्यों में तेलंगाना में महंगाई सबसे कम (-0.93%) और केरल में सबसे ज्यादा (6.71%) रही।
थोक महंगाई दर भी नेगेटिव
जून 2025 में थोक महंगाई दर (WPI) भी गिरकर -0.13% पर रही। यह 19 महीनों बाद पहली बार निगेटिव जोन में आई है। इसके पीछे फूड आइटम्स, क्रूड ऑयल, बेसिक मेटल्स और गैस की कीमतों में गिरावट को मुख्य वजह बताया गया है।