महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के भीतर और बाहर से उत्पन्न चुनौतियों से जूझ रहे उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख श्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए श्री आनंदराज आंबेडकर के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन सेना से गठबंधन किया है। यह घोषणा बुधवार को मुंबई में आयोजित एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई। यह गठबंधन विशेष रूप से बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को लक्ष्य कर किया गया है, जिससे शिंदे गुट को दलित और वंचित तबकों का समर्थन मिल सके। रिपब्लिकन सेना, मुंबई और विदर्भ क्षेत्र के कुछ हिस्सों में दलितों और गरीब तबकों में पकड़ रखती है।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब श्री उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख श्री राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है, जिसका उद्देश्य स्थानीय चुनावों में मराठी मतों का समेकन करना है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना पहले बीएमसी में अपना दबदबा बनाए रखती थी।
श्री शिंदे की भाजपा नेतृत्व से सत्ता-साझेदारी को लेकर खींचतान चल रही है, वहीं उनके कुछ विधायक और मंत्री विवादों से भी घिरे हुए हैं। इस संदर्भ में श्री शिंदे ने कहा, "मैं हमेशा आम आदमी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सर्वोपरि मानता रहा हूं। श्री आनंदराज आंबेडकर के साथ यह गठबंधन उन गरीब, जरूरतमंद और पिछड़े वर्गों तक पहुंचने की दिशा में एक कदम है।"
श्री आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि दोनों दल बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में विश्वास रखते हैं और समान विचारधारा साझा करते हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में शिंदे ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने सरकारी निवास ‘वर्षा’ पर कई बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों का स्वागत किया था।
आनंदराज ने शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा, "हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमारे कार्यकर्ताओं की चिंता को सुना जाए और उन्हें स्थानीय निकायों में सहभागिता दी जाए।"
श्री आनंदराज आंबेडकर कौन हैं?
श्री आनंदराज आंबेडकर, वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष श्री प्रकाश आंबेडकर के छोटे भाई हैं। 1998 में उन्होंने रिपब्लिकन सेना की स्थापना की थी, जो डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा पर आधारित है, लेकिन राज्य में इसकी सीमित उपस्थिति रही है। 2011 में मुंबई के दादर स्थित इंदू मिल की जमीन पर बाबा साहेब अंबेडकर स्मारक की मांग को लेकर हुए आंदोलन के चलते वे चर्चा में आए थे। 2012 में उन्होंने महाराष्ट्र में बौद्ध स्थलों से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर भी आंदोलन चलाया था।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य:
राज्य में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) कई गुटों में विभाजित हो चुकी है, जिनमें आरपीआई (ए) (श्री रामदास अठावले), आरपीआई (कवाड़े) और आरपीआई (गवई) प्रमुख हैं। आरपीआई (ए) भाजपा-एनडीए का हिस्सा है और दलित मतदाताओं पर इसका अच्छा प्रभाव माना जाता है।
1990 के दशक में शिवसेना और आरपीआई (ए) के बीच ‘शिव शक्ति और भीम शक्ति’ के नाम से गठबंधन हुआ था। 2022 में श्री उद्धव ठाकरेऔर श्री प्रकाश आंबेडकर ने इसी नारे को पुनर्जीवित करते हुए लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के नाम पर एकजुट होने की बात कही थी, हालांकि यह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले टूट गया।