रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी सोमवार (17 नवंबर 2025) को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) से जुड़ी जांच में दूसरी बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन पर उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने पहले की तरह ही कहा कि वे "वर्चुअल अपीयरेंस/रिकॉर्डेड वीडियो" के जरिए बयान देने को तैयार हैं।
ED ने अंबानी के इस प्रस्ताव को पहले ही अस्वीकार कर दिया था और उन्हें 17 नवंबर के लिए दोबारा समन जारी किया था। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अब एजेंसी तीसरा समन जारी करेगी या नहीं। FEMA मामलों की कार्रवाई सिविल प्रकृति की होती है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कार्रवाई क्रिमिनल होती है।
66 वर्षीय अंबानी के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा, “अनिल अंबानी किसी भी तारीख और समय पर ED के लिए वर्चुअल माध्यम से उपलब्ध होने को तैयार हैं।” सूत्रों के अनुसार, ED ने उन्हें स्वयं उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था।
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जांच का संबंध जयपुर-रींगस हाईवे परियोजना से है। कुछ समय पहले ED ने अंबानी और उनकी कंपनियों की ₹7,500 करोड़ की संपत्तियाँ अटैच की थीं। बाद में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर की गई तलाशी में पाया गया कि परियोजना से ₹40 करोड़ की कथित हेराफेरी हुई थी।
एजेंसी के अनुसार, यह धन सूरत स्थित शेल कंपनियों के जरिए दुबई भेजा गया और जांच में ₹600 करोड़ से बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क सामने आया।
ED ने कई हवाला डीलरों समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिसके बाद अंबानी को समन भेजा गया। कंपनी के अनुसार, यह मामला 15 साल पुराना (2010) है और इसमें कोई विदेशी मुद्रा लेनदेन शामिल नहीं था। परियोजना 2021 से NHAI के अधीन है।
अनिल अंबानी कंपनी के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं और केवल 2007 से 2022 तक गैर-कार्यकारी निदेशक रहे। उन्हें पहले भी ₹17,000 करोड़ बैंक फ्रॉड केस में ED ने पूछताछ के लिए बुलाया था।
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