अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने मस्जिद निर्माण की योजना को लंबित विभागीय अनुमति (एनओसी) के अभाव में खारिज कर दिया है। यह जानकारी एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) आवेदन के जवाब में सामने आई है। मस्जिद निर्माण को लेकर पहले से ही विवाद और बहस चल रही थी, ऐसे में एडीए का यह कदम नए सिरे से चर्चाओं और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को जन्म दे रहा है।
आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार, मस्जिद निर्माण की योजना एडीए को सौंपी गई थी, लेकिन संबंधित सरकारी विभागों से आवश्यक मंजूरी और क्लियरेंस नहीं मिल पाई। इन विभागों में पर्यावरण, अग्निशमन और शहरी विकास जैसे अहम विभाग शामिल हैं। चूंकि बिना एनओसी के कोई भी बड़ा निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ सकता, इसलिए एडीए ने प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया।
इस निर्णय के बाद मस्जिद निर्माण का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। समर्थकों का कहना है कि मस्जिद निर्माण संविधान प्रदत्त अधिकारों के अनुरूप होना चाहिए और सरकार को इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। वहीं, विरोधियों का तर्क है कि सभी कानूनी औपचारिकताओं और विभागीय मंजूरियों का पालन अनिवार्य है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता और विधिक प्रक्रिया का पालन बेहद जरूरी है। अगर विभागीय मंजूरी लंबित है, तो सरकार और संबंधित प्राधिकरण को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने चाहिए, ताकि विवाद और असमंजस की स्थिति न बने।
यह मामला एक बार फिर धार्मिक संरचनाओं से जुड़े प्रशासनिक और राजनीतिक पहलुओं को उजागर करता है, जो अक्सर कानूनी और सामाजिक बहस का केंद्र बन जाते हैं।
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