बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार, 6 अक्टूबर को दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित की। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।
इस घोषणा के तुरंत बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर तीखा हमला किया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के पक्ष में काम कर रहा है और इस तरह की घोषणा ‘EC-BJP गठबंधन’ का संकेत देती है। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष और स्वतंत्र रहना चाहिए, लेकिन उनकी कार्रवाई और चुनाव समयसीमा भाजपा के लिए अनुकूल प्रतीत होती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि बिहार के मतदाताओं को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष रहे और सभी पार्टियों को समान अवसर मिले। उन्होंने चेतावनी दी कि चुनाव आयोग का विश्वास खोना लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।
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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार का बिहार चुनाव न केवल राज्य की राजनीति, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। चुनाव परिणाम से राज्य में सत्ता समीकरण बदल सकते हैं और राजनीतिक दलों की रणनीति पर असर पड़ेगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव आयोग ने सभी तैयारी पूरी कर ली है और मतदान और मतगणना दोनों चरणों में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। बिहार के लोग अब 6 और 11 नवंबर को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, और 14 नवंबर को पूरे राज्य में मतगणना के परिणाम घोषित किए जाएंगे।
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