गुजरात में पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) ने कृषि विभाग को एंटी-प्लेजरिज़्म (साहित्यिक चोरी रोकने) की नीति तैयार करने और इसके लिए विशेष सॉफ़्टवेयर विकसित करने का निर्देश दिया है। समिति का मानना है कि यह कदम शोध की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा और ऐसे शोधपत्र सामने आएंगे जिनमें मौलिकता और तथ्यात्मकता दोनों मौजूद हों।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कृषि अनुसंधान का सीधा असर राज्य के किसानों, कृषि पद्धतियों और खाद्य सुरक्षा पर पड़ता है। यदि अनुसंधान की मौलिकता पर सवाल उठते हैं तो यह न केवल शैक्षणिक संस्थानों की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा, बल्कि कृषि विकास की दिशा को भी बाधित कर सकता है। इसीलिए एंटी-प्लेजरिज़्म नीति को लागू करना समय की मांग है।
PAC ने यह भी सिफारिश की कि विभाग शोधपत्र प्रकाशित करने से पहले उन्हें प्लेजरिज़्म जांच से गुजारे और इसके लिए अत्याधुनिक सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करे। साथ ही, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों को भी प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे मौलिक और गुणवत्ता-आधारित अनुसंधान पर जोर दें।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात कृषि विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों में हर साल बड़ी संख्या में शोधपत्र प्रस्तुत किए जाते हैं। लेकिन इनमें कई बार संदर्भों और तथ्यों की पुनरावृत्ति या सीधे नकल के मामले सामने आते हैं। यह न केवल अकादमिक ईमानदारी पर सवाल उठाता है बल्कि राज्य की नवाचार क्षमता को भी कम करता है।
कृषि विभाग ने समिति की सिफारिशों पर सहमति जताई है और जल्द ही नीति का प्रारूप तैयार करने की घोषणा की है।
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