हालिया अध्ययन में पाया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और कोयला बाजारों की अस्थिरता के कारण भारत में बिजली की कीमतों में वृद्धि हो रही है। अध्ययन में यह भी संकेत दिया गया है कि बिजली की मांग और आपूर्ति में असंतुलन के चलते उपभोक्ताओं को उच्च मूल्य चुकाने पड़ रहे हैं।
विशेष रूप से पीक घंटों (शाम 6 से 11 बजे) के दौरान बिजली के जोखिम प्रीमियम काफी अधिक होते हैं। सप्ताहांत में यह प्रीमियम 13% तक बढ़ सकते हैं, जो बिजली की गंभीर आपूर्ति कमी को दर्शाता है। इसका मतलब है कि जब मांग सबसे अधिक होती है, तब बिजली महंगी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
अध्यानकर्ताओं ने बताया कि कोयला और अन्य ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव सीधे बिजली उत्पादन लागत को प्रभावित करता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय कोयला आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव पड़ा है, जिससे भारत जैसे देशों में बिजली महंगी हुई है।
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इस अध्ययन के अनुसार, भारत में बिजली आपूर्ति की स्थिरता के लिए न केवल ईंधन सुरक्षा महत्वपूर्ण है, बल्कि बिजली उत्पादन और वितरण प्रणालियों में सुधार भी आवश्यक है। नीति निर्माता और ऊर्जा नियामक इस अस्थिरता का सामना करने और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए उपाय कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में यदि अंतरराष्ट्रीय कोयला कीमतें स्थिर नहीं होती हैं और रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी रहता है, तो बिजली की कीमतों में वृद्धि का दबाव बना रहेगा।
इस प्रकार, अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि वैश्विक घटनाएं और ईंधन बाजार की अस्थिरता सीधे भारत के बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर असर डाल रही हैं। यह ऊर्जा क्षेत्र के लिए सतर्कता और दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करता है।
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