पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से ताल्लुक रखने वाले 25 वर्षीय प्रवासी मजदूर अवाल शेख की जिंदगी पिछले आठ महीनों से अनिश्चितता और पीड़ा में घिरी हुई है। अवाल पहले जेल में बंद रहा और बाद में उसे तमिलनाडु के कड्डालोर जिले में स्थित अवैध विदेशियों के लिए बने निरोध केंद्र में भेज दिया गया। उस पर संदेह जताया गया कि वह बांग्लादेशी नागरिक है, जबकि उसका परिवार लगातार दावा कर रहा है कि वह भारतीय नागरिक है।
अवाल शेख को अप्रैल महीने में विदेशी अधिनियम (फॉरेनर्स एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से वह अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर बंदी बना हुआ है। इस बीच उसके माता-पिता अपने बेटे को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
अवाल के 72 वर्षीय पिता मोज़म्मेल हक ने फोन पर अपने गांव से बात करते हुए कहा, “मेरा बेटा भारतीय है और मुर्शिदाबाद का रहने वाला है।” उन्होंने बताया कि अवाल रोज़गार की तलाश में तमिलनाडु गया था, जहां वह मजदूरी कर रहा था। अचानक हुई गिरफ्तारी ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया।
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कानूनी लड़ाई के तहत अवाल शेख ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया है और अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि बिना ठोस आधार के उसे संदिग्ध विदेशी घोषित किया गया और उसके नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों की सही तरीके से जांच नहीं की गई।
परिवार का कहना है कि अवाल के पास आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र हैं, जो उसकी भारतीय नागरिकता साबित करते हैं। इसके बावजूद, उसे पहले जेल और फिर विदेशी निरोध केंद्र में रखा गया, जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
यह मामला देश में प्रवासी मजदूरों, खासकर सीमावर्ती राज्यों से आने वाले लोगों के साथ होने वाली जांच और कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अवाल का परिवार अब अदालत से न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है, ताकि उसका बेटा जल्द सुरक्षित घर लौट सके।
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