कर्नाटक सरकार ने घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कार्यस्थल पर गरिमा सुनिश्चित करने के लिए एक नया मसौदा विधेयक जारी किया है। यह विधेयक अब जनता की प्रतिक्रिया के लिए खुला है, और नागरिक, संगठन तथा हितधारक इस पर अपने सुझाव और आपत्तियाँ दर्ज करा सकते हैं।
“कर्नाटक घरेलू कामगार (नियमन और कल्याण) विधेयक” का उद्देश्य राज्यभर के घरेलू कामगारों — जैसे नौकर, सफाईकर्मी, रसोइया और अन्य सहायक — को औपचारिक श्रम कानूनों के दायरे में लाना है। अभी तक ये कामगार असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिससे उन्हें नियमित वेतन, सामाजिक सुरक्षा या स्वास्थ्य लाभ जैसी सुविधाएं नहीं मिल पातीं।
मसौदे में घरेलू कामगारों के लिए पंजीकरण प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव है, जिससे सरकार उनके कार्यस्थलों और रोजगार की स्थिति की निगरानी कर सकेगी। इसके साथ ही, नियोक्ताओं को कामगारों के लिए लिखित अनुबंध और न्यूनतम वेतन का पालन करना अनिवार्य होगा।
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विधेयक में एक घरेलू कामगार कल्याण बोर्ड के गठन का प्रावधान भी किया गया है, जो स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, दुर्घटना सहायता और पेंशन जैसी योजनाओं का प्रबंधन करेगा।
श्रम विभाग ने कहा कि यह पहल कर्नाटक के लाखों घरेलू कामगारों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। विभाग ने जनता से अपील की है कि वे अगले 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव भेजें, ताकि मसौदे को अंतिम रूप देते समय सभी हितधारकों की राय शामिल की जा सके।
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