केरल के राज्यपाल द्वारा ‘विभाजन विभीषिका दिवस’ मनाने के संबंध में जारी निर्देश ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। केरल राजभवन से भेजे गए एक आधिकारिक ईमेल में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को इस अवसर पर सेमिनार, स्मृति कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक और नाट्य प्रस्तुतियां आयोजित करने के लिए कहा गया है, जिनका उद्देश्य भारत के विभाजन से जुड़े दर्द और पीड़ा को उजागर करना है।
यह निर्देश केंद्र सरकार द्वारा 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने की पहल के तहत जारी किया गया है। ईमेल में कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों और समाज को विभाजन के ऐतिहासिक संदर्भ, मानवीय त्रासदी और उससे मिली सीख के बारे में जागरूक करेंगे।
हालांकि, इस निर्देश ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल का यह कदम शिक्षा संस्थानों में एक विशेष राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक स्वतंत्रता के साथ कार्य करना चाहिए और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
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वहीं, समर्थकों का कहना है कि विभाजन के दौरान हुई मानवीय त्रासदी को याद करना और उसकी कहानियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है, ताकि ऐसे दर्दनाक इतिहास की पुनरावृत्ति न हो।
इस मुद्दे पर राज्यपाल कार्यालय ने अभी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ‘विभाजन विभीषिका दिवस’ के कार्यक्रमों को लेकर केरल में राजनीतिक और वैचारिक टकराव और गहरा गया है।
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