मोहाली की एक डेटा-एनालिटिक्स कंपनी इन दिनों भारत के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी नवोन्मेषी रणनीतियों और तकनीकी विशेषज्ञता के कारण चर्चा में है। जहां देश में राजनीतिक विश्लेषण का क्षेत्र तेजी से भीड़भाड़ वाला होता जा रहा है, वहीं यह कंपनी अपने डेटा-आधारित निर्णय और ग्राउंड-लेवल इनसाइट्स के ज़रिए अलग पहचान बना रही है।
कंपनी की स्थापना कुछ युवा तकनीकी विशेषज्ञों ने की थी, जिनका उद्देश्य था चुनावों में पारदर्शिता और सटीकता लाना। यह फर्म चुनावी सर्वेक्षणों, मतदाता व्यवहार विश्लेषण और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग में विशेषज्ञता रखती है। इसके लिए यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करती है ताकि राजनीतिक दलों को वास्तविक समय में रणनीतिक फीडबैक मिल सके।
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि वे केवल आंकड़ों पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि जमीनी स्तर पर फील्ड टीम भेजकर स्थानीय मुद्दों और मतदाताओं की भावना को भी समझते हैं। यही कारण है कि उनकी रिपोर्टें अक्सर राजनीतिक दलों की रणनीति को दिशा देती हैं।
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कंपनी ने हाल के कुछ राज्य चुनावों में काम करते हुए साबित किया है कि डेटा एनालिटिक्स केवल संख्या नहीं बल्कि भावनाओं और प्रवृत्तियों को भी समझने का विज्ञान है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहल भारत के लोकतांत्रिक तंत्र को और सशक्त बना सकती है। मोहाली की यह कंपनी आने वाले चुनावों में भी अपनी भूमिका को और व्यापक करने की योजना बना रही है।
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