भारतीय किसान यूनियन आज़ाद ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में जारी मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया को तीन महीने बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में चार सप्ताह की यह प्रक्रिया 15.35 करोड़ मतदाताओं के लिए “प्रशासनिक रूप से असंभव” है और इससे बड़े पैमाने पर मताधिकार छीने जाने (mass disenfranchisement) का खतरा बढ़ जाता है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सघन पुनरीक्षण की मौजूदा समय सीमा बहुत कम है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं के नाम गलत तरीके से काटे जा सकते हैं या कई नाम अपडेट नहीं हो पाएंगे। इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और सटीकता प्रभावित होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की गई है ताकि मतदाता सूची को अधिक सटीक, पूर्ण और निष्पक्ष बनाया जा सके।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 4 नवंबर से उत्तर प्रदेश में विशेष सघन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की थी। इस अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची को “शुद्ध निर्वाचक नामावली - मज़बूत लोकतंत्र” की थीम के तहत और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है।
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इस प्रक्रिया के तहत बूथ-स्तरीय अधिकारी (BLO) 4 दिसंबर तक घर-घर जाकर मतदाताओं के विवरण की पुष्टि, संशोधन और सत्यापन कर रहे हैं। BLO को नए मतदाताओं के नाम शामिल करने, मृत या स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाने और गलतियों को सुधारने का काम सौंपा गया है।
याचिका में कहा गया है कि इतनी बड़ी आबादी वाले राज्य में सिर्फ चार सप्ताह का समय बिल्कुल अपर्याप्त है। इसलिए, लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और गलत विलोपन को रोकने के लिए SIR समय अवधि में तीन महीने का विस्तार अत्यंत आवश्यक है।
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