18 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी पर की गई टिप्पणी की कड़ी आलोचना की है। इन जजों ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले की इस तरह की “पूर्वाग्रहपूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण व्याख्या” न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है और कार्यरत न्यायाधीशों पर ठंडा असर डाल सकती है।
इन सेवानिवृत्त जजों का कहना है कि किसी उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की गलत व्याख्या करना गंभीर चिंता का विषय है। उनके अनुसार, इस तरह की टिप्पणी न केवल जनता के मन में न्यायपालिका की निष्पक्षता को लेकर संदेह पैदा करती है, बल्कि न्यायाधीशों के मनोबल को भी प्रभावित कर सकती है।
जजों के समूह ने कहा, “शीर्ष अदालत के निर्णय की गलत और पूर्वाग्रहपूर्ण व्याख्या करना संविधान के तहत न्यायपालिका को मिली स्वतंत्रता के खिलाफ है। न्यायाधीशों को किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से मुक्त रहकर निर्णय देने की आवश्यकता है।”
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उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के सार्वजनिक बयान न्याय प्रणाली में जनता के भरोसे को कमजोर करते हैं। न्यायपालिका लोकतंत्र की नींव है और इसे किसी भी प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी से बचाना चाहिए।
इन जजों ने न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा करने का आह्वान किया और सभी से आग्रह किया कि न्यायिक फैसलों को राजनीतिक चश्मे से देखने के बजाय उनके कानूनी और संवैधानिक महत्व को समझा जाए।
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