दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच में नई जानकारी जुड़ती जा रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरे नंबर 22 से 18 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। यह कमरा शाहीन सईद को आवंटित था, जो 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए ब्लास्ट की प्रमुख आरोपी है। इस विस्फोट में कम से कम 15 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे।
नकदी साधारण प्लास्टिक बैग में लपेटकर अलमारी के अंदर रखी गई थी। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि शाहीन सईद के पास इतनी बड़ी रकम कहां से आई। गुरुवार को एनआईए टीम शाहीन को उसके कमरे, उसके केबिन और कक्षाओं में ले गई, ताकि विस्तृत जांच की जा सके।
सईद के साथ अन्य आरोपियों—मुजम्मिल शकील और अदील अहमद राथर—को भी अदालत में पेश किया गया।
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कार खरीदने में इस्तेमाल हुई नकदी
जांच में पता चला है कि शाहीन सईद और मुजम्मिल शकील ने 25 सितंबर को एक नई मारुति सुजुकी ब्रेज़ा कार नकद में खरीदी थी। यह कार उन 32 वाहनों में शामिल थी, जिन्हें विस्फोटक सामग्री ले जाने या बम पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था। यह कार हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के कैंपस में खड़ी मिली।
'लवर्स' टेरर प्लॉट
दो असफल शादियों के बाद शाहीन की मुलाकात कश्मीर के डॉक्टर मुजम्मिल शकील से यूनिवर्सिटी में हुई। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं और उन्होंने सितंबर 2023 में निकाह किया। इसी दौरान शाहीन की मुलाकात जमात-उल-मोमिनात—जैश-ए-मोहम्मद के महिला विंग—से कराई गई, जहां उसे कट्टरपंथी विचारधारा का प्रशिक्षण दिया गया।
जांच एजेंसियों के अनुसार, शाहीन को भारत में जमात-उल-मोमिनात का नेतृत्व सौंपा गया था, जिसके पीछे पाकिस्तान में मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर का हाथ था। अपनी डॉक्टर पहचान का उपयोग करते हुए वह जम्मू-कश्मीर, दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के बीच फंड और संदेश पहुंचाने लगी।
एनआईए की जांच
शाहीन पर पांच “टेरर डॉक्टरों” की टीम खड़ी करने की जिम्मेदारी थी। शाहीन, मुजम्मिल शकील और अदील अहमद राथर को गिरफ्तार किया जा चुका है और तीनों की मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। उधर, उमर मोहम्मद उर्फ उमर-उन-नबी, जो ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई सफेद i20 कार चलाने वाला आत्मघाती हमलावर था, वह भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ था।
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