भारत के सबसे प्रभावशाली हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी शताब्दी समारोह धूमधाम से मनाई। नागपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भाषण में पाकिस्तान के साथ हालिया विवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा, “दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर होकर चलती है, किसी भी देश का अकेले अस्तित्व संभव नहीं।” इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संघ की तारीफ की और विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया।
आरएसएस की स्थापना 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संगठन स्वयं को राजनीतिक संगठन नहीं मानता, लेकिन इसकी विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ निकटता के कारण यह भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नागपुर में आयोजित समारोह में लगभग 3,800 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। सभी पुरुष सदस्य अपनी विशिष्ट खाकी पैंट, सफेद शर्ट और काले त्रिकोणीय टोपी में उपस्थित थे। उन्होंने सामूहिक व्यायाम और शारीरिक अनुशासन का प्रदर्शन किया। संघ का संगठनात्मक ढांचा जटिल और व्यापक है, जिसे समझना और उसकी सदस्य संख्या का सही आंकड़ा बताना मुश्किल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आरएसएस केवल राजनीतिक संगठन नहीं है; यह एक एनजीओ और कल्याणकारी संगठन के रूप में भी कार्य करता है। इसके सदस्य स्कूल, स्वास्थ्य क्लिनिक चलाते हैं और प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्यों में सक्रिय रहते हैं। संघ का प्रभाव भारतीय समाज और राजनीति में व्यापक है, और इसकी गतिविधियां भविष्य में भी बहुआयामी प्रभाव डाल सकती हैं, चाहे वह सामाजिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक क्षेत्र हो।
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