कोलकाता के सोनागाछी, देश के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया में, वर्कर्स ने इस वर्ष अपनी 13वीं दुर्गा पूजा का आयोजन किया। यह आयोजन केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि कामगारों के अधिकारों और सामाजिक सम्मान की आवाज भी बन गया है। यहां की महिलाएँ और पुरुष सामाजिक कलंक और अपमान के बावजूद अपने अधिकारों और पहचान के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
इस वर्ष की दुर्गा पूजा में कामगारों ने विशेष रूप से अपने कामकाजी अधिकारों, सुरक्षा और सम्मान की मांग को प्रमुखता दी। आयोजकों ने कहा कि यह पूजा उन्हें एकजुट होने और समाज में अपने योगदान को दिखाने का अवसर देती है। सोनागाछी के निवासी और अन्य समाजिक कार्यकर्ता इस पहल को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि समाज में वर्कर्स के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आए।
पारंपरिक पूजा की तरह ही यहां प्रतिमा स्थापित की गई, पूजा अर्चना की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। इसके साथ ही आयोजकों ने कामगारों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के मुद्दों को भी मंच पर रखा। यह आयोजन दिखाता है कि किस तरह marginalized समुदाय भी अपने सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सवों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैला सकते हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सोनागाछी की यह पहल कामगारों के अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल उनके अधिकारों के प्रति समाज की सोच बदलने में मदद करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सामाजिक न्याय और समानता के महत्व से परिचित कराएगा।
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