सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग हो चुके सैन्य कैडेट्स की दयनीय स्थिति पर गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया है कि इन कैडेट्स को Ex-Servicemen Contributory Health Scheme (ECHS) के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र से पूछा है कि क्या दिव्यांग कैडेट्स के लिए कोई विशेष योजना मौजूद है, जिसमें उन्हें बीमा कवर, एक्स-ग्रेशिया एकमुश्त राशि और पुनर्वास सुविधाएँ मिल सकें।
याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि प्रशिक्षण के दौरान चोटिल होकर दिव्यांग हुए कई कैडेट्स को ना तो उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है और ना ही किसी प्रकार का आर्थिक मुआवजा, जिससे उनकी जिंदगी मुश्किल हो गई है।
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कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में सभी नीतियों और मौजूदा प्रावधानों की जानकारी पेश करे, ताकि यह तय किया जा सके कि इन कैडेट्स को स्थायी राहत देने के लिए कौन-सा ढांचा लागू किया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि कैडेट्स देश के भविष्य के सैन्य अधिकारी होते हैं, और यदि प्रशिक्षण के दौरान वे दिव्यांग हो जाते हैं तो उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। इस मामले की अगली सुनवाई में केंद्र से विस्तृत हलफनामा मांगा गया है।
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