ब्रिटेन के उपप्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि फिलिस्तीन को मान्यता देने का निर्णय तुरंत एक नया राज्य बनाने जैसा नहीं होगा। उनका कहना है कि यह एक संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया है, जिसे समय और कूटनीतिक प्रयास की आवश्यकता होगी।
उपप्रधानमंत्री के इस बयान का संदर्भ जुलाई में किए गए पूर्व बयान से है, जब लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर ने कहा था कि ब्रिटेन फिलिस्तीन को मान्यता देगा। स्टारमर ने तब यह भी संकेत दिया था कि मान्यता देने का कदम इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक कूटनीतिक संकेत के रूप में होगा।
ब्रिटेन के उपप्रधानमंत्री ने कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देने का निर्णय अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। उनका कहना है कि यह कदम किसी भी तरह से अचानक राजनीतिक या भू-राजनीतिक बदलाव नहीं लाएगा, बल्कि यह एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा होगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि फिलिस्तीन को मान्यता देने के कदम से मध्यपूर्वी राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसके चलते इज़राइल और फिलिस्तीनी समूहों के बीच तनाव कम करने या बढ़ाने की संभावना दोनों रह सकती है।
इस प्रकार, ब्रिटेन की सरकार फिलिस्तीन को मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रही है और इसके दीर्घकालिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा। उपप्रधानमंत्री का बयान इस प्रक्रिया की जटिलता और संवेदनशीलता को स्पष्ट करता है।
इस कदम से न केवल ब्रिटेन की कूटनीतिक नीति प्रभावित होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मध्यपूर्व के स्थायी समाधान की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण संकेत दे सकता है।
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