संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने क़तर की राजधानी दोहा पर हुए हालिया हमलों की कड़ी निंदा की है। हालांकि, परिषद द्वारा जारी बयान में इज़रायल का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया। यह हमले उस समय हुए जब क़तर, इज़रायल और हमास के बीच जारी संघर्षविराम वार्ता में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था।
संयुक्त राष्ट्र के इस बयान को अमेरिका का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। विशेष रूप से, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कदमों पर असहमति जताई थी। माना जा रहा है कि इसी पृष्ठभूमि में अमेरिका ने परिषद के इस बयान को समर्थन दिया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इज़रायल का नाम न लेकर सुरक्षा परिषद ने संतुलित रुख अपनाने की कोशिश की है, ताकि मध्य-पूर्व की पहले से तनावपूर्ण स्थिति और न बिगड़े। क़तर लंबे समय से क्षेत्र में शांति और संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता रहा है। हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई गई है कि इससे वार्ता की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
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क़तर ने इन हमलों को अपनी संप्रभुता पर हमला बताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। वहीं, सुरक्षा परिषद का यह बयान संकेत देता है कि वैश्विक संस्थाएं क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर गंभीर हैं और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रही हैं।
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब पश्चिम एशिया पहले ही कई संघर्षों और अस्थिरता का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र का ताज़ा कदम कूटनीतिक दबाव बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
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