विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इस उपलब्धि में सबसे खास रहा शीतल का प्रदर्शन, जो इस प्रतियोगिता में एकमात्र बिना हाथ की तीरंदाज हैं। शीतल ने अपने पैर और ठोड़ी की मदद से तीरंदाजी की और इस चैंपियनशिप में अपना तीसरा पदक हासिल किया।
शीतल ने कहा कि उनकी यह सफलता मेहनत, आत्मविश्वास और भारतीय तीरंदाजी टीम के सहयोग के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों को यह संदेश दिया कि शारीरिक बाधाएं सपनों को रोक नहीं सकतीं और सही प्रशिक्षण तथा दृढ़ संकल्प से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।
वहीं, टोमन कुमार ने भी शानदार प्रदर्शन किया और पुरुषों की श्रेणी में भारत को एक और स्वर्ण पदक दिलाया। उनके प्रदर्शन ने भारतीय पैरा तीरंदाजी की स्थिति को और मजबूत किया और यह दिखाया कि भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार उच्चतम स्तर का प्रदर्शन कर रहे हैं।
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चैंपियनशिप में भारतीय टीम ने सामूहिक प्रयासों से अपने कौशल और रणनीति का परिचय दिया। आयोजकों और दर्शकों ने भारतीय खिलाड़ियों की साहसिक और प्रेरणादायक उपलब्धियों की सराहना की।
विशेषज्ञों का कहना है कि शीतल और टोमन कुमार की सफलता न केवल भारतीय पैरा तीरंदाजी के लिए मील का पत्थर है, बल्कि यह आने वाले समय में अन्य खिलाड़ियों को उत्साहित और प्रेरित करेगी। उनके प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि दिव्यांग खिलाड़ियों की क्षमता और धैर्य किसी भी चुनौती को पार कर सकता है।
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