केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय केरल फिल्म महोत्सव (IFFK) में जिन फिल्मों को केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B मंत्रालय) ने सेंसर छूट देने से इनकार किया है, उन्हें भी महोत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इन फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए केंद्र की मंजूरी का इंतजार नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री विजयन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “जिन सभी फिल्मों को सेंसर छूट से वंचित किया गया है, उन्हें IFFK में प्रदर्शित किया जाएगा।” उन्होंने इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक लोकतंत्र की रक्षा से जोड़ते हुए कहा कि फिल्म महोत्सव विचारों के मुक्त आदान-प्रदान का मंच होता है।
गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने IFFK में प्रदर्शित होने वाली 19 फिल्मों को सेंसर छूट देने से मना कर दिया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया। हालांकि, मंगलवार को मंत्रालय ने इनमें से चार फिल्मों को प्रदर्शन की अनुमति दे दी। जिन फिल्मों को हरी झंडी दी गई है, उनमें बीफ (Beef), वन्स अपॉन ए टाइम इन गाज़ा (Once Upon a Time in Gaza), ईगल्स ऑफ द रिपब्लिक (Eagles of the Republic) और हार्ट ऑफ द वुल्फ (Heart of the Wolf) शामिल हैं।
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इसके बावजूद, राज्य की CPI(M) सरकार ने साफ कर दिया है कि वह केंद्र के फैसले से पीछे नहीं हटेगी और सेंसर छूट से इनकार की गई सभी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचाएगी। सरकार का कहना है कि फिल्म महोत्सव का उद्देश्य विविध विचारों और वैश्विक सिनेमा को सामने लाना है, न कि उन्हें प्रतिबंधों में जकड़ना।
इस फैसले के बाद केरल और देशभर के फिल्मकारों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों के बीच बहस तेज हो गई है। कई लोगों ने राज्य सरकार के कदम का समर्थन करते हुए इसे रचनात्मक स्वतंत्रता की जीत बताया है, जबकि कुछ ने केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ने की आशंका जताई है।
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