भारत सरकार टेलिकॉम उद्योग के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके तहत स्मार्टफोन कंपनियों को उपग्रह आधारित लोकेशन ट्रैकिंग (A-GPS) को हमेशा चालू रखने के लिए बाध्य किया जा सकता है। इस कदम का उद्देश्य जांच एजेंसियों को अधिक सटीक लोकेशन उपलब्ध कराना है, लेकिन Apple, Google और Samsung ने इसे गंभीर प्राइवेसी खतरे बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। यह जानकारी आधिकारिक दस्तावेजों, ईमेल और सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
हाल ही में सरकार को एक विवादित आदेश वापस लेना पड़ा था, जिसमें सभी स्मार्टफोन्स पर एक सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप को प्रीलोड करने का निर्देश दिया गया था। कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने इसे संभावित निगरानी का माध्यम बताया था।
वर्तमान प्रणाली में टेलिकॉम कंपनियाँ केवल मोबाइल टावर आधारित लोकेशन देती हैं, जो कुछ मीटर तक गलत हो सकती है। इसी कारण COAI (जो जियो और एयरटेल का प्रतिनिधित्व करती है) ने सुझाव दिया कि A-GPS को हमेशा सक्रिय रखा जाए, जिससे एक मीटर तक सटीक लोकेशन मिल सके।
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लेकिन Apple, Google और Samsung का कहना है कि इसे बाध्यकारी बनाना दुनिया में कहीं लागू नहीं है और यह उपयोगकर्ताओं की निजता पर बड़ा हमला होगा। ICEA ने अपनी गोपनीय चिट्ठी में इसे “regulatory overreach” बताया और कहा कि इससे न्यायाधीशों, सैन्य अधिकारियों, पत्रकारों और कॉर्पोरेट नेतृत्व की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यह कदम स्मार्टफोन को “लगातार निगरानी उपकरण” में बदल देगा। अमेरिका की इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन ने इसे “खतरनाक और अभूतपूर्व” बताया।
भारत में 735 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, जिनमें 95% एंड्रॉइड और बाकी iOS पर हैं। फिलहाल IT और गृह मंत्रालय ने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, और दोनों मंत्रालय प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं।
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