भारत और लक्समबर्ग ने अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने का निर्णय लिया। इस बैठक में भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और लक्समबर्ग के भारत स्थित राजदूत क्रिश्चियन बीवर शामिल हुए। बैठक में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), अंतरिक्ष विभाग (DoS) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में साइबर सुरक्षा, क्वांटम तकनीक, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे नवाचार-प्रेरित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भारत को विज्ञान, नवाचार और स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की प्राइवेट अंतरिक्ष इकोसिस्टम, सरकारी सुधारों और ISRO की उद्योग-अनुकूल पहलों के साथ, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए कई अवसर प्रस्तुत करती है।
उन्होंने लक्समबर्ग के मजबूत अंतरिक्ष वित्त और नवाचार इकोसिस्टम को यूरोपीय बाजार में भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स के लिए एक द्वार के रूप में देखा। मंत्री ने भारत और लक्समबर्ग के बीच 1948 में स्थापित लंबे समय से चले आ रहे कूटनीतिक संबंधों का स्मरण किया और नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लक्समबर्ग के प्रधानमंत्री जैवियर बेटेल के बीच हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन का जिक्र किया।
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डॉ. सिंह ने भारत की हालिया अंतरिक्ष उपलब्धियों का भी उल्लेख किया, जिसमें चंद्रयान-3 मिशन शामिल है, जिसने अगस्त 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग कर भारत को यह उपलब्धि दिलाई। उन्होंने बताया कि दो लक्समबर्ग उपग्रह पहले ही भारत के PSLV रॉकेट से लॉन्च हो चुके हैं। इसके अलावा, ISRO की लक्समबर्ग स्पेस एजेंसी के “Space Resources Week 2024” में भागीदारी भी दोनों देशों के बढ़ते सहयोग को दर्शाती है।
बैठक में संयुक्त अनुसंधान, औद्योगिक लिंक और नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण में नए पहलुओं को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई।
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