देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने छोटी पेट्रोल कारों को कड़े कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) मानकों से छूट देने के प्रस्ताव का विरोध किया है। कंपनी का कहना है कि इस तरह की छूट देश में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों पर आधारित वाहनों को अपनाने की गति को नुकसान पहुंचा सकती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजे गए एक पत्र में टाटा मोटर्स ने कहा कि भारत की नई तकनीकों में नवाचार करने और भविष्य की उन्नत तकनीकों को तेजी से अपनाने की क्षमता अब सकारात्मक परिणाम देने लगी है। इसका प्रमाण यह है कि यात्री कारों के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की हिस्सेदारी लगभग 5 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
कंपनी ने पत्र में उल्लेख किया कि 909 किलोग्राम तक वजन वाली, 1200 सीसी से कम इंजन क्षमता और 4000 मिमी से कम लंबाई वाली पेट्रोल कारों को CAFE मानकों में छूट देने से टिकाऊ तकनीकों को अपनाने का उद्देश्य कमजोर पड़ सकता है। इससे वाहन निर्माताओं का ध्यान इलेक्ट्रिक और कम-उत्सर्जन तकनीकों से हट सकता है।
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टाटा मोटर्स ने यह भी चेतावनी दी कि वाहन के वजन के आधार पर छूट देने से मूल उपकरण निर्माता (OEM) आवश्यक सुरक्षा फीचर्स की कीमत पर गाड़ियों का वजन कम करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। इससे पिछले कुछ वर्षों में वाहन सुरक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
कंपनी ने सरकार से अनुरोध किया कि CAFE मानकों में किसी विशेष आकार या वजन की कारों के लिए अलग श्रेणी बनाकर रियायत न दी जाए। ऐसा करना शून्य-उत्सर्जन तकनीकों, वाहन सुरक्षा और समान प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों के विपरीत होगा।
गौरतलब है कि सरकार ने अप्रैल 2027 से मार्च 2032 के बीच यात्री वाहनों के ईंधन उपभोग और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए CAFE के मसौदा नियम जारी किए हैं। टाटा मोटर्स का मानना है कि दीर्घकालिक नीति स्थिरता और स्पष्ट फोकस के साथ भारत शून्य-उत्सर्जन वाहनों का प्रमुख निर्माता और उपयोगकर्ता बन सकता है।