25 दिसंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘इक्कीस (Ikkis)’ के साथ 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की असाधारण वीरगाथा एक बार फिर बड़े पर्दे पर जीवंत होगी। महज 21 वर्ष की उम्र में परमवीर चक्र (PVC) से मरणोपरांत सम्मानित हुए अरुण खेत्रपाल, नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के पूर्व छात्र और पूना हॉर्स रेजिमेंट के साहसी अधिकारी थे।
फिल्म इक्कीस अभिनेता धर्मेंद्र की अंतिम फिल्म भी है। इसमें अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा सेकेंड लेफ्टिनेंट खेत्रपाल की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि दिवंगत धर्मेंद्र उनके पिता ब्रिगेडियर मदन लाल खेत्रपाल के किरदार में नजर आएंगे। यह फिल्म युवा अधिकारी की वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और सर्वोच्च बलिदान को शांत गरिमा के साथ प्रस्तुत करती है।
अरुण खेत्रपाल के मित्र और एनडीए के 38वें कोर्स के बैचमेट, ब्रिगेडियर दीपक बजाज (सेवानिवृत्त) ने अपने दोस्त को याद करते हुए कहा, “जो बात आज भी मुझे कचोटती है, वह यह एहसास है कि वह आखिरी बार था जब मैंने अरुण को देखा। हम एक-दूसरे से गले मिले, अलविदा कहा। मुझे आज भी उसकी मुस्कान साफ याद है, जब उसने कहा था— ‘दोस्त, दुश्मन को निपटाकर मिलेंगे।’
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1971 के युद्ध में सेकेंड लेफ्टिनेंट खेत्रपाल ने दुश्मन के कई टैंकों को नष्ट कर दिया, जबकि वे स्वयं गंभीर रूप से घायल थे। उन्होंने पीछे हटने से इनकार किया और अंत तक मोर्चे पर डटे रहे। उनकी असाधारण बहादुरी, नेतृत्व और बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
फिल्म इक्कीस न सिर्फ एक सैनिक की कहानी है, बल्कि यह भारतीय सेना के साहस, मित्रता और देश के लिए सर्वोच्च त्याग की भावना को भी श्रद्धांजलि है। यह कहानी नई पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ-साथ इतिहास के उस स्वर्णिम अध्याय को याद दिलाएगी, जिसने राष्ट्र को गर्व से भर दिया।
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