भारतीय रुपया बुधवार (3 दिसंबर 2025) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 90 के स्तर को पार करते हुए अब तक के सबसे निचले स्तर 90.21 पर बंद हुआ। यह गिरावट पिछली बंद कीमत से 25 पैसे अधिक थी। डॉलर की बढ़ती मजबूती, कच्चे तेल की ऊँची कीमतें, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता ने रुपये पर दबाव बढ़ाया।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 89.96 पर खुला और कारोबार के दौरान 90.30 के सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया। हालांकि, कारोबार के अंत में यह 90.21 पर बंद हुआ। एक दिन पहले भी रुपये में 43 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये पर दबाव विदेशी निवेशकों की बिकवाली, आयातकों की डॉलर मांग और कच्चे तेल के बढ़ते दामों के कारण बना हुआ है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी और क्रूड की कीमतों में तेजी से रुपये में कमजोरी आई है। हालांकि, डॉलर इंडेक्स की गिरावट ने रुपये को और तेज गिरने से रोका।
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ट्रेज़री विशेषज्ञ अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, आरबीआई ने रुपये को 90 के स्तर के पार जाने दिया था और यह 90.30 तक गिर गया, जिसके बाद केंद्रीय बैंक की ओर से हस्तक्षेप देखने को मिला।
इस बीच, नवंबर के लिए HSBC इंडिया सर्विसेज PMI इंडेक्स 58.9 से बढ़कर 59.8 पर पहुंच गया, जो सेवाओं की गतिविधियों में मजबूती दर्शाता है। वैश्विक स्तर पर डॉलर इंडेक्स 0.20% गिरकर 99.16 पर आ गया, जबकि ब्रेंट क्रूड 63.02 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था।
घरेलू शेयर बाजार में भी हल्की गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स 31.46 अंक गिरकर 85,106.81 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 46.20 अंक टूटकर 25,986 पर आ गया। एफआईआई ने 3,642 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की।