भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 पैसे कमजोर होकर 87.58 के स्तर पर बंद हुआ। मुद्रा बाजार में यह गिरावट मुख्य रूप से मजबूत अमेरिकी डॉलर, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और निवेशकों की सतर्कता के कारण देखी गई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 87.52 के स्तर पर खुला और कारोबार के दौरान 87.50 के उच्चतम स्तर तथा 87.59 के निचले स्तर के बीच उतार-चढ़ाव के बाद अंततः 87.58 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 87.52 पर बंद हुआ था।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने रुपये पर दबाव बढ़ाया है। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के पूंजी प्रवाह को लेकर सतर्क रुख और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने भी मुद्रा पर नकारात्मक असर डाला।
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विश्लेषकों के अनुसार, निकट भविष्य में रुपया इसी दायरे में कारोबार कर सकता है, क्योंकि निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर करीबी नजर रख रहे हैं। बढ़ती महंगाई और भू-राजनीतिक तनाव भी रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
मुद्रा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ती हैं या डॉलर और मजबूत होता है, तो रुपये में और कमजोरी आ सकती है। वहीं, विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार या निर्यात में मजबूती से रुपये को कुछ सहारा मिल सकता है।
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