अमेरिकी वित्तीय नियामक संस्था ने क्रिप्टोकरेंसी कंपनी रिपल (Ripple) के खिलाफ चल रहा मुकदमा समाप्त कर दिया है। समझौते के तहत रिपल कंपनी 125 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,042 करोड़) का जुर्माना अदा करेगी। यह मामला लंबे समय से अमेरिकी क्रिप्टो उद्योग में चर्चा का विषय बना हुआ था और इसका फैसला पूरे सेक्टर के लिए एक अहम संकेत माना जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने रिपल पर आरोप लगाया था कि उसने एक्सआरपी (XRP) टोकन की बिक्री के जरिए बिना पंजीकरण के प्रतिभूतियां (securities) जारी कीं। हालांकि, अब दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद यह कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई है।
एक्सआरपी वर्तमान में बाजार मूल्य के आधार पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है, जो केवल बिटकॉइन और ईथर से पीछे है। यह जानकारी मार्केट सर्विस CoinMarketCap के ताज़ा आंकड़ों में दी गई है। एक्सआरपी का उपयोग दुनिया भर में तेज़ और कम लागत वाली अंतरराष्ट्रीय भुगतान सेवाओं के लिए किया जाता है।
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वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से क्रिप्टो उद्योग में नियामक स्पष्टता बढ़ेगी और कंपनियों को कानूनी जोखिमों से बचने के लिए अपने परिचालन को बेहतर तरीके से संरचित करने में मदद मिलेगी। वहीं, रिपल के समर्थकों का कहना है कि कंपनी ने अपनी सेवाओं की वैधता साबित करने के लिए कड़ा संघर्ष किया और यह समझौता आगे के विकास के लिए रास्ता साफ करेगा।
यह फैसला न केवल रिपल के लिए राहत की खबर है, बल्कि व्यापक क्रिप्टो बाजार के लिए भी एक संकेत है कि नियामक संस्थाएं कठोर दंड के बजाय समझौते के रास्ते को भी अपना सकती हैं।
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