वैश्विक व्यापार युद्ध, व्यापार प्रतिबंधों और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का बंदरगाह क्षेत्र पूरी तरह स्थिर और विकासशील बना हुआ है। ANI द्वारा उद्धृत PL Capital की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह क्षेत्र कई प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेज़ी से वृद्धि दर्ज कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में घरेलू खपत में बढ़ोतरी, व्यापारिक वॉल्यूम का इज़ाफा और सरकार द्वारा प्रायोजित मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर पहलें इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। आर्थिक विकास और बंदरगाह विकास का साथ-साथ होना इस उन्नति का मूल कारण बताया गया है।
सरकार का उद्देश्य भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है, और निर्यात को बढ़ावा देना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। यही वजह है कि बंदरगाह और संपूर्ण लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में जबरदस्त गति देखी जा रही है।
PL Capital की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2002 से वित्त वर्ष 2025 तक भारतीय बंदरगाहों पर कार्गो वॉल्यूम की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 6.2 प्रतिशत रही। इनमें गैर-महत्वपूर्ण बंदरगाहों की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रही जबकि प्रमुख बंदरगाहों की 4.7 प्रतिशत।
वर्तमान में भारत में 12 प्रमुख समुद्री बंदरगाह और 200 से अधिक छोटे बंदरगाह हैं, जो लगभग 2,700 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) क्षमता का संचालन करते हैं। सरकार ने वर्ष 2047 तक इस क्षमता को 10,000 MMT तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
सरकार की 'सागरमाला' और 'पीएम गति शक्ति' जैसी योजनाएं, औद्योगिक गतिविधियों में बढ़ोतरी, कंटेनराइजेशन में उछाल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की ओर रुझान इस क्षेत्र की वृद्धि को और तेज कर रहे हैं।
PL Capital ने यह भी कहा कि भारत के USD 10 ट्रिलियन इकोनॉमी बनने के लक्ष्य में बंदरगाह क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।