भारत और यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) के बीच हाल ही में हुए व्यापार समझौते से पहले वर्ष में भारत को लगभग ₹4,060 करोड़ का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। यह आंकड़ा ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) द्वारा मौजूदा आयात आंकड़ों के आधार पर जारी किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस व्यापार समझौते के तहत दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती या पूर्ण छूट दी गई है, जिसके कारण सरकार को राजस्व में कमी का सामना करना पड़ेगा।
GTRI ने कहा कि यदि वर्तमान आयात स्तर समान रहता है, तो पहले वर्ष में ही ₹4,060 करोड़ की कर छूट दी जाएगी। यह अनुमान उन उत्पादों पर आधारित है जिन पर आयात शुल्क घटाया गया है, जिनमें औद्योगिक वस्तुएं, मशीनरी, और कुछ उपभोक्ता उत्पाद शामिल हैं।
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हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह नुकसान अल्पकालिक है क्योंकि व्यापार समझौते से लंबे समय में निवेश और निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद है। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारतीय कंपनियों को यू.के. में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी और सेवा क्षेत्र को भी लाभ होगा।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना, आर्थिक सहयोग बढ़ाना और दोनों देशों के बीच नए निवेश के अवसर पैदा करना है।
वित्त मंत्रालय का मानना है कि शुरुआती वर्षों में राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन आने वाले समय में निर्यात बढ़ने और विदेशी निवेश आकर्षित होने से यह घाटा संतुलित हो जाएगा।
विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत-यू.के. व्यापार समझौता मध्यम और दीर्घकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
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