देश की इस्पात कंपनियों ने सरकार से चीन सहित कुछ देशों से बढ़ते इस्पात आयात पर रोक लगाने के लिए और कदम उठाने की मांग की है। विश्व इस्पात संघ (Worldsteel) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2025 के बीच चीन ने 746.3 मिलियन टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है, जो भारत के उत्पादन से छह गुना अधिक है। इसी अवधि में भारत ने 122.4 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन किया। केवल सितंबर महीने में ही चीन ने 73.5 मिलियन टन इस्पात बनाया, जबकि भारत का उत्पादन मात्र 13.6 मिलियन टन रहा।
मार्केट डेटा के अनुसार, देश में स्टेनलेस स्टील उद्योग भी अपनी कुल 7.5 मिलियन टन की स्थापित क्षमता का केवल 60% ही उपयोग कर पा रहा है, जिसका मुख्य कारण बढ़ता आयात है।
पिछले कुछ वर्षों में इस्पात मंत्रालय ने 100 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) जारी किए हैं, ताकि गैर-BIS मानक वाले उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश से रोका जा सके। जून में जारी QCO ने कुछ स्टील उत्पादों के इनपुट आयात पर भी रोक लगा दी थी।
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उद्योग जगत का कहना है कि “QCO की वैधता अवधि बढ़ाई जा सकती है ताकि सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद देश में न आएं।” उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए सरकार को और कदम उठाने चाहिए, विशेषकर आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए किए जा रहे निवेशों को सुरक्षित करने हेतु।
मार्च में वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई DGTR ने कुछ इस्पात उत्पादों पर 200 दिनों के लिए 12% अस्थायी सेफगार्ड शुल्क लगाने की सिफारिश की थी। अब नीति आयोग की एक उच्चस्तरीय समिति अगले सप्ताह इस्पात उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी।
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