अमेरिका में बुजुर्गों को निशाना बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय ठगी syndicates के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है, और इसी के तहत एक भारतीय नागरिक को बड़ा दंड मिला है। एक अमेरिकी जिला अदालत ने भारतीय मूल के 38 वर्षीय लिग्नेशकुमार एच. पटेल को बुजुर्गों के साथ की गई व्यापक ठगी साजिश में दोषी पाए जाने पर 90 महीने की संघीय जेल की सजा सुनाई है।
पटेल ने वायर फ्रॉड और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन फ्रॉड की साजिश, तथा वायर फ्रॉड के दो मामलों में दोष स्वीकार किया। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, अदालत ने पटेल को दो मिलियन डॉलर से अधिक की क्षतिपूर्ति (restitution) देने का भी आदेश दिया है।
अमेरिकी अटॉर्नी स्टीवन डी. वीनहोफ्ट ने बताया कि “इम्पोस्टर स्कैम” अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए चलाए जाते हैं, जिनमें अमेरिका में मौजूद “मनी म्यूल्स” पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से पैसे इकट्ठा करते हैं।
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अभियोजकों के अनुसार, पटेल और उसके साथी खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों या संघीय अधिकारियों के रूप में पेश करते थे और पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते थे कि उन्हें अपनी संपत्ति “सुरक्षा” के लिए सौंपनी होगी।
अदालत में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार, पटेल ने इलिनॉय, मिसौरी, आयोवा, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में कम से कम 11 बुजुर्गों के घर जाकर उनसे नकद और सोना इकट्ठा किया, जिसकी कीमत 22,31,216.99 डॉलर थी। अभियोजकों का कहना है कि यह एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा था, जिसमें 85 अतिरिक्त पीड़ित शामिल थे और कुल संभावित नुकसान 6.9 मिलियन डॉलर से अधिक था।
HSI शिकागो के विशेष एजेंट मैथ्यू जे. स्कारपिनो ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि बुजुर्गों को निशाना बनाने वाले अपराधियों को कठोर सजा मिलेगी।
अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों में बुजुर्गों से जुड़ी धोखाधड़ी के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है, और अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क पर कार्रवाई तेज की जा रही है। भारत और अमेरिका दोनों देश वित्तीय व साइबर अपराधों की जांच में सहयोग बढ़ा रहे हैं।
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