देशभर में स्मार्टफोन की बिक्री में लगातार गिरावट के चलते मोबाइल रिटेलर गंभीर आर्थिक दबाव में आ गए हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि कई रिटेलरों को कर्मचारियों की सैलरी अपनी निजी बचत से चुकानी पड़ रही है। प्रमुख स्मार्टफोन ब्रांड्स द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी और आकर्षक ऑफर्स वापस लिए जाने से बाजार में मांग बुरी तरह प्रभावित हुई है।
Xiaomi, Realme, Vivo और Oppo जैसे अग्रणी स्मार्टफोन ब्रांड्स ने अपने सबसे ज्यादा बिकने वाले मॉडलों की कीमतें बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही कई कंपनियों ने बैंक कैशबैक ऑफर्स वापस ले लिए हैं, जीरो-इंटरेस्ट फाइनेंस स्कीम्स को बंद कर दिया है और रिटेल स्तर पर मिलने वाले सेल-आउट सपोर्ट में भी कटौती की है। इन कदमों से उपभोक्ताओं की खरीदारी की इच्छा कमजोर पड़ी है, जिसका सीधा असर दुकानदारों पर पड़ा है।
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (AIMRA) का कहना है कि स्मार्टफोन की कीमतों में 2026 में 10 से 15 प्रतिशत तक और बढ़ोतरी हो सकती है। एसोसिएशन के मुताबिक, 2025 में ही कीमतें करीब 10 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं, जिसका कारण मेमोरी कंपोनेंट्स की बढ़ती लागत और डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार-चढ़ाव है। इससे स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए लागत का माहौल अस्थिर और असहनीय होता जा रहा है।
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AIMRA के चेयरमैन कैलाश लाखियानी ने कहा, “हम ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं जहां कंपोनेंट्स की लागत अब स्थिर नहीं रही है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो न केवल रिटेलर बल्कि पूरा मोबाइल इकोसिस्टम प्रभावित हो सकता है।
रिटेलरों का कहना है कि कम मार्जिन, बढ़ती लागत और कमजोर मांग के कारण दुकान चलाना मुश्किल हो गया है। अगर जल्द कोई राहत नहीं मिली, तो छोटे और मध्यम स्तर के मोबाइल विक्रेताओं के लिए कारोबार जारी रखना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
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