पश्चिम बंगाल सरकार दिसंबर में पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यशालाओं की श्रृंखला आयोजित करने जा रही है। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक लैंगिक-संवेदनशील (gender responsive) बनाना और कमजोर एवं हाशिये पर मौजूद समुदायों, विशेष रूप से LGBT व्यक्तियों, ट्रॉमा सर्वाइवर्स और अन्य संवेदनशील समूहों के प्रति सहानुभूति बढ़ाना है।
आयोजकों के अनुसार, ये कार्यशालाएं मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कार्य (psychiatric social work) के विशेषज्ञों तथा राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जाएंगी। यह पहल अपने प्रकार की राज्य की पहली संरचित और अस्पताल-आधारित बहु-हितधारक (multi-stakeholder) पहल मानी जा रही है।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों, काउंसलरों और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देकर ऐसी चिकित्सा सेवाएं विकसित की जाएं जो लैंगिक पहचान, यौन विविधता और सामाजिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए अधिक प्रभावी, सम्मानजनक और समावेशी हों।
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कार्यशालाओं में प्रतिभागियों को यह सिखाया जाएगा कि LGBT व्यक्तियों एवं ट्रॉमा सर्वाइवर्स से किस प्रकार संवेदनशील तरीके से संवाद किया जाए, उन्हें मानसिक व भावनात्मक सहायता कैसे दी जाए, और उपचार के दौरान उनकी गरिमा की पूर्ण रक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।
यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब देश के विभिन्न हिस्सों में कमजोर समुदायों के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के दौरान भेदभाव और असंवेदनशील व्यवहार का सामना करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल का यह प्रयास सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकार आधारित स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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