सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को संसद में अपनी बात रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर तीखे लेकिन हल्के-फुल्के अंदाज़ में टिप्पणी की। लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने चुनावी सुधारों, चुनाव आयोग की निष्क्रियता और इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।
उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के रामपुर उपचुनाव में बीजेपी की जीत प्रशासनिक दुरुपयोग का परिणाम थी। उनका आरोप था कि पुलिस और अधिकारियों ने लोगों को वोट डालने से रोका, जिसके कारण बीजेपी पहली बार रामपुर सीट जीत सकी। उन्होंने इसे “वोट चोरी नहीं, वोट डकैती” करार दिया और कहा कि चुनाव आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
अखिलेश यादव ने आगे इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया और कहा कि सबसे ज्यादा फंड बीजेपी को मिले, उसके बाद कांग्रेस को। इसी पर उन्होंने हल्की चुटकी लेते हुए कहा,
“जो सत्ता में हैं उन्हें सबसे ज्यादा बॉन्ड मिले। कांग्रेस को भी फायदा हुआ। लेकिन कांग्रेस ऐसा दोस्त है जो बताता नहीं कि उसे कहां से मिला। हमें तो कुछ नहीं मिला।”
इस टिप्पणी पर सदन में हंसी गूंज उठी।
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इलेक्टोरल बॉन्ड, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग का माध्यम प्रदान करते थे, को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2023 तक कांग्रेस ने 1,334 करोड़ रुपये के बॉन्ड कैश किए, जबकि सपा ने केवल 14.05 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए।
अखिलेश ने यूपी में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और बूथ लेवल अधिकारियों की मौत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने सवाल किया कि क्या आयोग ने उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण दिया था।
उन्होंने चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और बैलेट पेपर से मतदान की कांग्रेस की मांग का भी समर्थन किया।
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