ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ वकील और किंग्स काउंसल (King’s Counsel) की उपाधि प्राप्त रक्षा पक्ष के अधिवक्ता ऋषि नाथवानी ने एक हत्या के मामले में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से उत्पन्न हुई गलतियों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है।
यह मामला एक किशोर पर हत्या के आरोप से जुड़ा है। अदालत में दाखिल की गई लिखित दलीलों (सबमिशन) में गलत जानकारियां पाई गईं, जिनके बारे में जांच के बाद स्पष्ट हुआ कि ये जानकारी एआई-जनित स्रोत से आई थी।
नाथवानी ने स्वीकार किया कि यह गलती उनकी ओर से हुई और उन्होंने कहा कि वे इस पूरी चूक की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका उद्देश्य अदालत को गुमराह करना नहीं था, बल्कि यह अप्रत्याशित त्रुटि तकनीकी सहायता पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हुई।
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उन्होंने न्यायालय से और पीड़ित पक्ष से खेद व्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना से उन्होंने “महत्वपूर्ण सबक” सीखा है। इस प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कानूनी प्रक्रियाओं में एआई टूल्स के उपयोग के लिए स्पष्ट मानक और सावधानी कितनी आवश्यक है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि एआई का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही यह सुनिश्चित करना अनिवार्य हो गया है कि तकनीकी साधनों से प्राप्त सूचना को मानवीय स्तर पर जांचे बिना अदालत में प्रस्तुत न किया जाए।
यह घटना ऑस्ट्रेलियाई कानूनी बिरादरी में एआई के उपयोग को लेकर सतर्कता और जिम्मेदारी बढ़ाने की मांग को और मजबूत कर रही है।
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