छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कथित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को लेकर बड़ा दावा सामने आया है। छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने सोमवार को दाखिल की गई अपनी पूरक चार्जशीट में आरोप लगाया कि चैतन्य बघेल ने 2019 से 2022 के बीच इस कथित घोटाले से व्यक्तिगत रूप से करीब 200 से 250 करोड़ रुपये का लाभ उठाया। इस दौरान भूपेश बघेल राज्य के मुख्यमंत्री थे।
चार्जशीट के अनुसार, यह घोटाला एक संगठित “सिंडिकेट” के जरिए अंजाम दिया गया, जिसमें राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल थे। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस सिंडिकेट ने आबकारी विभाग के समानांतर एक “पैरलल सिस्टम” चलाया, जिसके तहत अवैध शराब की बिक्री की गई। इससे राज्य सरकार को करीब 3,074 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
EOW का आरोप है कि चैतन्य बघेल इस कथित सिंडिकेट में एक अहम कड़ी के रूप में काम कर रहे थे। वह सरकारी अधिकारियों और शराब माफिया के बीच “ब्रिज” यानी संपर्क सूत्र की भूमिका निभा रहे थे। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि चैतन्य का संबंध इस मामले के प्रमुख आरोपियों में शामिल अनवर ढेबर से था, जो कांग्रेस के नेता और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई हैं।
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गौरतलब है कि चैतन्य बघेल को इस कथित शराब घोटाले के सिलसिले में जुलाई महीने में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से ही जांच एजेंसियां उनके वित्तीय लेन-देन और कथित भूमिका की गहन जांच कर रही हैं।
EOW और ACB का कहना है कि इस घोटाले के जरिए अवैध रूप से कमाई गई राशि को कई माध्यमों से इधर-उधर किया गया। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह मामला न सिर्फ आर्थिक अपराध से जुड़ा है, बल्कि इसमें सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी शामिल हैं।
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