जापान की संसद ने मंगलवार को साने ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में चुना, जो एक ऐतिहासिक क्षण है उस समाज के लिए जहां राजनीति और कार्यस्थल लंबे समय से पुरुष वर्चस्व में रहे हैं।
64 वर्षीय ताकाइची, जो हेवी मेटल संगीत और बाइक राइडिंग की शौकीन हैं, नारा शहर में पली-बढ़ीं। टीवी प्रस्तोता से लेकर कट्टर राष्ट्रवादी राजनीति की प्रतीक बनने तक का उनका सफर असाधारण रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाने वाली ताकाइची ने उनके रूढ़िवादी विचारों को आगे बढ़ाया है। वह 2020 के बाद से चौथी प्रधानमंत्री हैं, जो जापान की राजनीतिक अस्थिरता को भी दर्शाता है।
ताकाइची जापान के शांतिवादी संविधान में संशोधन चाहती हैं और उन्होंने विवादास्पद युद्ध स्मारक का भी दौरा किया है, जिससे चीन और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देशों में नाराज़गी है। वहीं देश के भीतर उनकी कर और खर्च नीतियों पर भी मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं, क्योंकि जापान महंगाई और जीवनयापन लागत से जूझ रहा है।
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मार्गरेट थैचर से प्रेरित ताकाइची को “जापान की आयरन लेडी” कहा जा रहा है। थैचर की तरह वह भी पुरुष-प्रधान माहौल में अपनी पहचान बना चुकी हैं। लेकिन उनके सामने चुनौती है – बढ़ती महंगाई, घटती जन्म दर और बूढ़ी होती आबादी। साथ ही अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और घरेलू राजनीतिक अविश्वास भी उन्हें संभालना होगा।
ताकाइची की नियुक्ति सिर्फ एक ऐतिहासिक कदम नहीं बल्कि सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए अपनी छवि सुधारने का प्रयास भी है। पार्टी को हाल के वर्षों में घोटालों और जन असंतोष का सामना करना पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि उनकी कैबिनेट में पहली बार एक महिला वित्त मंत्री सत्सुकी कतायामा को भी शामिल किया गया है।
अब ताकाइची के सामने सबसे बड़ी परीक्षा यह होगी कि वह जापान की जनता का भरोसा जीत पाती हैं या नहीं। देश की “आयरन लेडी” को अब अपने काम से अपनी मजबूती साबित करनी होगी।
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