नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और सरकार गठन की प्रक्रिया में देरी के बीच देश की जेनरेशन-ज़ेड (Gen Z) अभियानकर्ताओं ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्थन दिया है। यह मांग ऐसे समय में उठी है जब संसद को भंग किया जाए या नहीं, इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच गहरे मतभेद बने हुए हैं।
युवा अभियानकर्ताओं का मानना है कि नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में एक निर्दल और निष्पक्ष नेतृत्व की आवश्यकता है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, को वे एक सशक्त और ईमानदार नेता मानते हैं, जो अंतरिम व्यवस्था के दौरान देश को सही दिशा दे सकती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल में लंबे समय से चली आ रही सत्ता संघर्ष और संसद भंग करने पर असहमति ने राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित किया है। ऐसे में युवाओं का यह समर्थन देश के भीतर नई राजनीतिक सोच और परिवर्तन की इच्छा को दर्शाता है।
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युवा पीढ़ी का कहना है कि कार्की की छवि पारदर्शिता और न्यायप्रियता की है। वे मानते हैं कि उनके नेतृत्व में राजनीतिक दलों के बीच संतुलन कायम किया जा सकता है और भ्रष्टाचार तथा राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर जनहित पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
नेपाल में चल रही यह बहस दर्शाती है कि युवा वर्ग अब केवल दर्शक नहीं रहना चाहता, बल्कि सक्रिय रूप से राजनीतिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने में जुटा है।
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