भारत में एकल शिक्षक वाले स्कूलों (Single-Teacher Schools) की संख्या 1 लाख से अधिक है, जो 33 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में जारी शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों में सामने आई है।
एकल शिक्षक वाले स्कूल आमतौर पर ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में पाए जाते हैं, जहां संसाधनों की कमी और पर्याप्त शिक्षकों की अनुपलब्धता होती है। इस स्थिति में, एक ही शिक्षक पूरे स्कूल के सभी विषयों और कक्षाओं को संभालने के लिए जिम्मेदार होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली ग्रामीण शिक्षा तक पहुंच को बढ़ाने में सहायक तो है, लेकिन गुणवत्ता और प्रभावशीलता के लिहाज से चुनौतियां भी पैदा करती है। एक शिक्षक के लिए कई कक्षाओं और विषयों का बोझ संभालना कठिन होता है, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस प्रकार के स्कूलों में कई बार सहायक स्टाफ, पुस्तकें, और डिजिटल संसाधनों की कमी भी देखी जाती है। मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति बढ़ाने और स्कूलों में सुविधाओं के विस्तार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि इन स्कूलों में तकनीकी मदद, प्रशिक्षण और सहायक स्टाफ की व्यवस्था करके छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा, समान पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया जा रहा है।
भारत में शिक्षा का यह आंकड़ा यह दिखाता है कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा पहुंचाने के लिए अभी भी कई सुधार और निवेश की आवश्यकता है।
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