प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (3 नवंबर 2025) को कहा कि भारत अब उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रोजेक्ट्स को समर्थन दे रहा है ताकि देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति के रूप में उभर सके।
उन्होंने यह बात पहले ‘इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC)’ के उद्घाटन समारोह में कही। यह वार्षिक आयोजन नीति-निर्माताओं, नवाचारकर्ताओं और वैश्विक विशेषज्ञों को एक मंच पर लाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने 1 लाख करोड़ रुपये के ‘रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन फंड’ की भी शुरुआत की, जिसका उद्देश्य निजी क्षेत्र के निवेश को अनुसंधान में प्रोत्साहित करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह निवेश जनता के हित में होगा और नए अवसरों के द्वार खोलेगा। उन्होंने बताया कि पहली बार पूंजी को विशेष रूप से उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाले प्रोजेक्ट्स के लिए आवंटित किया जा रहा है।
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श्री मोदी ने कहा कि सरकार ‘Ease of Doing Research’ पर ध्यान दे रही है ताकि देश में एक आधुनिक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सके। इसके लिए वित्तीय नियमों और खरीद नीतियों में सुधार किए गए हैं और प्रोटोटाइप से मार्केट तक के सफर को सरल बनाने हेतु नई प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गई हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले दशक में भारत का अनुसंधान व्यय दोगुना हुआ है और पेटेंट पंजीकरण 17 गुना बढ़ा है। भारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत में 43% महिलाएं STEM शिक्षा (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में हैं, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि जब नवाचार समावेशी होता है, तो समाज के सभी वर्ग उसका लाभ उठाते हैं और भारत इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
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