चीन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व्यक्तिगत रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत करेंगे। यह कदम क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच सम्मेलन की अहमियत को दर्शाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्वागत का महत्व केवल शिष्टाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तीनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग को सुदृढ़ करने का संकेत भी है। SCO शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जिसमें सुरक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी प्रमुख विषय होंगे।
शी जिनपिंग और पीएम मोदी का पिछला साझा मंच 2024 में रूस के कज़ान में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन था, जिसमें राष्ट्रपति पुतिन भी उपस्थित थे। उस मौके पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई थी और कई बहुपक्षीय समझौतों पर सहमति बनी थी।
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इस बार SCO सम्मेलन में तीनों नेताओं की उपस्थिति क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शक्ति संतुलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसके अलावा, यह अवसर भारत-चीन और भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने का भी मौका प्रदान करेगा।
शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और SCO सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश, तकनीकी सहयोग और रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों और क्षेत्रीय सहयोग पर भी विचार किया जाएगा।
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